बहुत छोटा था तो माँ ने एक स्वेटर बुना
आसमानी रंग का,
आसमान जितने ही असीम सपने बुने माँ ने उसमें
दो सलाइयों से बुन रही थी वो मेरा बड़ा ओहदा,
दुनिया में मेरा नाम, एक भारी भरकम तनख्वाह,
आज वो स्वेटर छोटा पड़ने लगा है मुझे
माँ उघाड़ रही है वो स्वेटर और
तैयारी कर रही है दुबारा बुनने की, और बड़ा बुनने की
मैं डरने लगा हूँ बुने हुए स्वेटर से…
माँ उसमें उम्मीदें बुन देती है यार।